कबीर अमृतवाणी साधो, देखो जग बौराना
दोहा
साधो, देखो जग बौराना।
साँची कहौ तो मारन धावै झूँठे जग पतियाना।
हिंदू कहत है राम हमारा मुसलमान रहमाना।
आपस में दोउ लड़े मरतु हैं मरम कोई नहिं जाना।
व्याख्या
देखो साधु, सारी दुनिया पागल हो गई है ।
सच्ची बात कहो तो मारने को दौड़ते हैं लेकिन झूठ पर सबका विश्वास है ।
हिंदू राम का नाम लेता है और मुसलमान रहमान का और दोनों आपस में
इस बात पर लड़ते-मरते हैं लेकिन सच्चाई से कोई भी परिचित नहीं।
Explanation
Look sage, the whole world has gone mad.
If you tell the truth, everyone rushes to
kill, but everyone believes in lies.
Hindu takes the name of Ram and Muslim takes
the name of Rahman.
Both of them fight among themselves on this
issue but no one knows the truth.
दोहा
बहुत मिले मोहिं नेमी धर्मी प्रात करैं असनाना।
आतम छोड़ि पषानैं पूजैं तिनका थोथा ज्ञाना।
आसन मारि डिंभ धरि बैठे मन में बहुत गुमाना।
पीपर-पाथर पूजन लागे तीरथ-बर्न भुलाना।
व्याख्या
मुझे धर्म और उसके नियमों के मानने वाले बहुत मिले जो प्रातःकाल स्नान करते हैं
और आत्मा को छोड़कर पत्थर की पूजा करते हैं। उनका ज्ञान झूठा है।
दंभ धारण करके आसन लगाकर बैठते हैं और उनका मन अहंकार में डूब जाता है,
जिसके कारण वह पत्थर और पीपल को पूजते हैं
Explanation
I found many followers of
religion and its rules who take bath in the morning.
And they leave the soul and
worship the stone. Their knowledge is false.
They sit with pride and their
mind is drowned in ego,
Due to which they worship stone
and Peepal tree.
दोहा
माला पहिरे टोपी पहिरे छाप-तिलक अनुमाना।
साखी सब्दै गावत भूले आतम ख़बर न जाना।
घर घर मंत्र जो देत फिरत हैं माया के अभिमाना।
गुरुवा सहित सिष्य सब बूड़े अंतकाल पछिताना।
व्याख्या
माला और टोपी पहनकर तिलक और छापा लगाते हैं।
उपदेश देते-देते वह आत्मा से बेख़बर हो गए हैं।
जो गुरु माया के घमंड में घर घर मंत्र सुनाते फिरते हैं,
वे गुरु और उनके चेले सब डूब चुके हैं ।
उनके पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं है।
Explanation
Wear garland and cap and apply
tilak and chapa.
While preaching, he has become
unaware of the soul.
The Guru who goes around
reciting mantras from house to house in the arrogance of Maya,
That guru and his disciples
have all drowned. He has nothing but regrets.
दोहा
बहुतक देखे पीर औलिया पढ़ैं किताब क़ुराना।
करैं मुरीद कबर बतलावैं उनहूँ ख़ुदा न जाना।
हिंदु की दया मेहर तुरकन की दोनों घर से भागी।
व्याख्या
मैंने पीर और औलिया बहुत देखे हैं जो किताब और क़ुरान पढ़ते रहते हैं।
वह क़ब्र दिखाकर लोगों को मुरीद बनाते हैं ।
ज़ाहिर है कि उन्होंने ख़ुदा को नहीं पहचाना है ।
हिंदू की दया और मुसलमानों की मुहब्बत, दोनों उनके घरों से निकल गई हैं।
Explanation
I have seen many Pirs and Auliya who keep reading books and Quran.
They make people followers by showing them graves.
Obviously, they have not recognized God.
The kindness of Hindus and the love of Muslims, both have gone out of their homes.
दोहा
वह करै जिबह वाँ झटका मारै आग दोऊ घर लागी।
या बिधि हँसत चलत हैं हमको आप कहावैं स्याना।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, इनमें कौन दिवाना॥
व्याख्या
एक जानवर को ज़िबह करता है और दूसरा झटका करता है
लेकिन आग दोनों के घर में लगी है ।
इस तरह वह हम पर तो हँसते हैं और ख़ुद सियाने कहलाते हैं।
कबीर कहते हैं, ए साधु, तुम ही बताओ इन दोनों में कौन दिवाना है।
Explanation
One slaughters the animal and the other shocks it
But both their houses are on fire. In this way they laugh at us and call themselves wise.
Kabir says, O sage, you tell me who is crazy among these two.
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