BRK Graphic News18: कौन थे बौद्ध धर्म: गौतम बुद्ध का जीवन, शिक्षाएं, प्रचार और विकास, महात्मा बुद्ध, जानिए बुद्ध की शिक्षा और वैवाहिक जीवन-शैली के बारे में
BRK Graphic News18: पूरी दुनिया को शांति, प्रेम,
त्याग और सद्भावना का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गौतम बुद्ध का जीवन प्रेरणादायक है.
राजा के बेटे होते हुए भी उन्होंने भिक्षु रूपी जीवन को चुना
Gautam Buddha Kahani in Hindi: कहा जाता है कि गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में कपिलवस्तु के लुम्बिनी में हुआ था. वर्तमान में यह स्थान नेपाल में है. बुद्ध
ने मात्र 29 वर्ष की उम्र में अपना पारिवारिक जीवन छोड़ दिया और दिव्य ज्ञान की खोज
में निकल पड़े। बुद्ध ने दुनिया भर के लोगों के बीच अहिंसा, शांति, प्रेम, सद्भावना
और त्याग का संदेश देकर समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया।
कौन थे महात्मा गौतम बुद्ध
महात्मा बुद्ध राजा शुद्धोधन के बेटे थे, जबकि शाक्य
गणराज्य के राजा थे. बुद्ध की माता का नाम मायादेवी थी. जन्म के समय
बुद्ध को उनके माता-पिता ने राजकुमार सिद्धार्थ नाम दिया था। बुद्ध बचपन से ही शांत और गंभीर स्वभाव के थे. वे अपना अधिकांश समय एकान्त में बैठकर ध्यान-साधना
में व्यतीत करते थे। राजकुमार होने के बावजूद भी सांसारिक सुखों में उनकी कोई रूचि नहीं थी. जैसे-जैसे बुद्ध बड़े होने लगे उनकी सांसारिक रूचि भी खत्म होने लगी.
महात्मा गौतम बुद्ध एक धार्मिक गुरु और धर्म
संस्थापक थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। वे भगवान बुद्ध के रूप में
भी जाने जाते हैं। गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 2,500 वर्ष पहले, यानी कि लगभग 6वीं या
5वीं सदी ईसा पूर्व हुआ था।
गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के दौरान अपनी धार्मिक
शिक्षा और ज्ञान को बड़े समर्थ से बांधकर वैशाली, कुशीनगर, सारनाथ, राजगृह,
श्रावस्ती, बोधगया, आलारा, मृगदावा, राजगीर, चुनार, नालंदा, वैशाली, रुपावती और
बेलुवा जैसे स्थानों पर घूमा और अपनी उपदेशों को लोगों के साथ साझा किया।
बुद्ध का उपदेश मुख्यत: चार आदिसत्य (चत्तारी
आर्य सत्यानि) पर आधारित था, जिनमें उन्होंने दुख, उसके कारण, उसका निवारण और उसका
मार्ग स्पष्ट किया। बौद्ध धर्म के अनुयायी बौद्धों को कहा जाता है। उनकी उपदेशों
का सारांश "चत्तारी आर्य सत्यानि" या "चार आर्य सत्य" में
हैं, जिनमें उन्होंने दुःख, उसके कारण, निवारण और मार्ग की बातें की थीं।
गौतम बुद्ध की शिक्षा
गौतम बुद्ध की प्रारंभिक शिक्षा
राजमहल में ही हुई। लेकिन जब वे बड़े हुए तो उनके पिता ने उन्हें शिक्षा प्राप्त करने
के लिए गुरु विश्वामित्र के पास भेज दिया। बुद्ध ने गुरु विश्वामित्र से वेद और उपनिषद
की शिक्षा ली। धीरे-धीरे वह एक आदर्श शिष्य बन गये।
गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के दौरान अपनी शिक्षा को "धर्म" या "बोधि" की प्राप्ति के लिए समर्पित किया। उनकी शिक्षा का सुसंगत संकेत चार आर्य सत्यों (Four
Noble Truths) और अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) में मिलता है:
1. **दुःख का सत्य (The Truth of Suffering):** बुद्ध ने सभी जीवों के जीवन में दुःख की अस्तित्व को स्वीकार किया। जन्म, जरा, वृद्धि, रोग, मृत्यु आदि जीवन के साथ आने वाले दुःखों का प्रत्यासन्न किया।
2. **दुःख का कारण (The Cause of Suffering):** उन्होंने सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने तृष्णा (तन्हा) को दुःख के मूल कारण के रूप में पहचाना। यह तृष्णा में आसक्ति, स्वार्थ, राग, द्वेष, और अज्ञान का होना शामिल था।
3. **दुःख का निवारण (The Cessation of Suffering):** बुद्ध ने सिद्ध किया कि दुःख का निवारण संभव है, और इसे तृष्णा की समाप्ति के माध्यम से किया जा सकता है।
4. **दुःख का मार्ग (The Path to the Cessation of Suffering):** उन्होंने अष्टांगिक मार्ग
(Eightfold Path) की प्रस्तुति की, जिसमें सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वचन, सम्यक क्रिया, सम्यक आजीविका, सम्यक वायाम, सम्यक स्मृति, और सम्यक समाधि शामिल थे। इस मार्ग का पालन करने से व्यक्ति दुःख से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
गौतम बुद्ध की शिक्षा में से यह चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को प्रदर्शित करते हैं और उनके अनुयायियों को एक सत्यशोधन और सही मार्ग की दिशा में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन करते हैं।
गौतम बुद्ध का विवाह
गौतम बुद्ध का विवाह एक महत्वपूर्ण
पहलू है जो उनके जीवन की पहली अवधि को चित्रित करता है। गौतम बुद्ध का जन्मलेख (जीवन
का वृत्तांत) बुद्धचरित में विस्तार से बताया गया है।
गौतम बुद्ध, जिनका जन्म सागरमथा
(सिद्धार्थ गौतम) के नाम से भी जाना जाता है, ने अपना जीवन एक राजकुमार के रूप में
शुरू किया था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था और माता का नाम माया देवी था।
गौतम बुद्ध का विवाह युवावस्था में ही हो
गया था। उनकी पत्नी का नाम यशोधरा था। गौतम बुद्ध का विवाह : समृद्धि और सुख में रहने
के बावजूद कुछ समय बाद बुद्ध का विवाह कोलिय वंश के राजा सुप्पबुद्ध की पुत्री यशोधरा
से हुआ। बुद्ध और यशोधरा का एक बेटा भी था जिसका नाम राहुल था। लेकिन विवाह के बाद
भी बुद्ध में वैराग्य की भावना बढ़ती जा रही थी और सांसारिक सुखों में उनकी रुचि कम
होती जा रही थी। ऐसे में एक दिन बुद्ध अपनी पत्नी और पुत्र को छोड़कर चुपचाप जंगल की
ओर चले गये। उन्होंने ध्यान की खोज की और जीवन का वास्तविक अर्थ खोजने के लिए अपनी
आत्मा की खोज में निकल पड़े।
गौतम बुद्ध का विवाह होने के बाद, उन्होंने
अपने प्रवासी जीवन को त्यागकर एक साधु बनने का निर्णय किया, जिससे उन्होंने निर्वाण
(मोक्ष) की प्राप्ति की। गौतम बुद्ध ने विचार और तत्त्वज्ञान की खोज में अपना जीवन
समर्पित किया और उनका विवाह इस प्रक्रिया की पहली चरण का हिस्सा था।
क्या था बुद्ध के गृह त्याग का कारण
गौतम बुद्ध ने अपने गृह त्याग का कारण धर्म और सत्य की खोज में उनकी उद्दीपना होना था। उनके जीवन का यह पहला चरण उनके वैयावसायिक जीवन की भोगभारी और सुखमय शृंगारी अवस्था से निरास्त होने का था। गौतम बुद्ध का विचार था कि संसार में जन्म, जरा, मरण की चक्रवृद्धि में संघर्ष और दुःख है, और उन्होंने इस सार्थक जीवन से बाहर निकलने का निर्णय किया।
गौतम बुद्ध का जीवन वही भूमिका निभाता है जिसमें वे वैयावसायिक सुख-भोग से दूर होकर वैराग्य और तपस्या की ओर बढ़ते हैं। उनका वैराग्य सूचना देता है कि संसार में सुख की पूर्णता नहीं है और अनंत दुःख का सामना करना पड़ता है।
इसलिए घर, परिवार, संपत्ति या किसी भी चीज़ से उनका कोई नाता नहीं था. क्योंकि इन चीज़ों
में उसे आत्मिक ख़ुशी नहीं मिलती थी। बुद्ध अपने मन में चल रहे कई प्रश्नों का उत्तर ढूंढने के लिए बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने लगे और 6 साल बाद उन्हें पूर्ण और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. इस
तरह वह राजकुमार सिद्धार्थ गौतम से महात्मा गौतम बुद्ध बन गये।
गौतम बुद्ध ने एक रात में अपने गहनों को छोड़कर, अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़कर, गृह त्याग किया। उनका यह गृह त्याग बौद्ध धर्म की स्थापना के पहले कदम का रूप लेता है और इससे उनका बौद्ध धर्म की उपदेशों की ओर प्रवृत्ति होती है। गौतम बुद्ध के गृह त्याग के बाद, उन्होंने वैराग्य और मोक्ष की ओर अपना पूरा जीवन समर्पित किया और ध्यान में रहकर सत्य की प्राप्ति का मार्ग दिखाया।
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