**ख्वाबों की सवारी: एक हमसफ़र के लिए**
**पहला पर्व: मुलाकात**
कुछ पल थे वो, मिलन की पहली रात,
तेरी मुस्कुराहट में बसी थी एक पूरी बात।
तेरे होते ही सब कुछ लगा नया,
मेरा दिल धड़का, हर दर्द लगा हल्का।
**दूसरा पर्व: सफ़र का आगाज़**
फूलों भरी राहों में हमने बांधी एक राह,
तू और मैं, और एक नया सफ़र।
बातें होंठों पे रुकी, पर दिल में छाई बातें,
हमसफ़री की राह में, बिछाई थी बातें।
**तीसरा पर्व: मोहब्बत का सफ़र**
चाँदनी रातों में, तेरी बाहों में बसा मोहब्बत,
तू और मैं, एक-दूजे के लिए बने ख्वाब।
मोहब्बत की कहानी, अब हमारी जुबानी,
खुशी से भरी रातें, हमारी ज़िन्दगी की कहानी।
**चौथा पर्व: संगीत ए इश्क़**
तेरे बिना जिन्दगी, एक सुना सा संग,
तू है संगीत, मेरे हृदय की धड़कन।
तेरे साथ रंगी ये राहें, सुना हर सफ़र,
तू है मेरा संगीत, मेरा हर क़दम तेरी ख़ातिर।
**पाँचवा पर्व: वादा और शपथ**
हमने किया वादा, साथी होंगे हम सदा,
जीवन की राहों में, मिलेंगे हम जब जवाँ।
खुदा से किया एक वादा, तुझसे है मेरा मोहब्बत,
हमसफ़र रहेंगे हमेशा, तक़दीर बनी एक।
**छठा पर्व: सवारी का आख़री मोड़**
ये सफ़र है हमारा, एक ख़्वाब की तरह,
बीत गए लम्हे, मगर रहेगा ये सफ़र।
तू है मेरी राहों का संगी, जीवन की राह में,
एक दूजे के साथ, बनेगा यह सफ़र।
**समाप्ति: एक नई शुरुआत**
इस शायरी में छुपा है हमारा इश्क़,
हमसफ़र तू है, तेरे बिना कुछ नहीं है इश्क़ ।
हज़ार शब्दों में, एक छोटी सी बात,
तू है मेरा हमसफ़र, तेरी ही राहों में है बात।
0 Comments